मैरी ब्रूनको, रामरडेल और सकागुची को मिलेगा चिकित्सा क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार

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स्टॉकहोम। वर्ष 2025 के लिए चिकित्सा क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार की सोमवार को घोषणा कर दी गयी । इस साल तीन वैज्ञानिकों मैरी ई. ब्रुनको, फ्रेड रामस्डेल और शिमोन सकागुची को यह पुरस्कार मिला है। तीनों को पेरिफेरल इम्यून टॉलरेंस (परिधीय प्रतिरक्षा सहिष्णुता) से संबंधित खोज के लिए यह पुरस्कार दिया गया है। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने चिकित्सा क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नाम का ऐलान किया। इन तीनों को 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में 10.3 करोड़ रुपये, गोल्ड मेडल और प्रमाण पत्र पुरस्कार के तौर दिया जाएगा।

ब्रूनको, रामस्डेल और सकागुची ने इम्यून सिस्टम के सुरक्षा गार्ड यानी रेगुलेटरी टी – सेल्स की पहचान की, जो यह सुनिश्चित करती हैं कि इम्यून सेल हमारे अपने शरीर पर हमला न करें। इसके आधार पर कैंसर और ऑटोइम्यून रोगों के इलाज खोजे जा रहे हैं। इसके अलावा इन खोजों की मदद से अंग प्रत्यारोपण में भी मदद मिल रही है।

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दरअसल, हमारा इम्यून सिस्टम हर दिन हजारों-लाखों सूक्ष्मजीवों से हमारी रक्षा करता है। ये सभी सूक्ष्मजीव अलग-अलग दिखते हैं। कई ने तो अपने आप को मानव कोशिकाओं जैसा दिखाने की क्षमता विकसित कर ली है, जिससे इम्यून सिस्टम को यह पहचानना मुश्किल हो जाता है कि हमला किस पर करना है और किसकी रक्षा करनी है।

चिकित्सा क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार को आधिकारिक तौर पर ‘फिजियोलॉजी या मेडिसिन’ का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है। पिछले साल का पुरस्कार अमेरिकी नागरिक विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को सूक्ष्म राइबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) की खोज के लिए प्रदान किया गया था । चिकित्सा के क्षेत्र में भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना को नोबेल पुरस्कार मिल चुका है। उन्हें 1968 में यह पुरस्कार मिला था।

उन्होंने जेनेटिक कोड से जुड़ी खोज की थी, जो यह बताती है हमारे शरीर में प्रोटीन कैसे बनते हैं। इस खोज ने चिकित्सा की दुनिया को बदल दिया और कैंसर, दवाओं एवं जेनेटिक इंजीनियरिंग में मदद की । उनकी खोज ने समझाया कि डीएनए कैसे प्रोटीन बनाता है, जो शरीर के लिए जरूरी है। भारत से जुड़े 12 लोग नोबेल पुरस्कार जीत चुके हैं, लेकिन चिकित्सा के क्षेत्र में सिर्फ खुराना को यह पुरस्कार मिला है।

उल्लेखनीय है कि नोबेल पुरस्कारों की स्थापना 1895 में हुई थी। पहली बार पुरस्कार 1901 में मिला। 1901 से 2024 तक चिकित्सा के क्षेत्र में 229 लोगों को इससे सम्मानित किया जा चुका है। इन पुरस्कारों को वैज्ञानिक और इन्वेंटर अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल की वसीयत आधार पर दिया जाता है। शुरुआत में केवल फिजिक्स, मेडिसिन, केमिस्ट्री, साहित्य और शांति के क्षेत्र में ही नोबेल दिया जाता था ।

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